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    हरियाणा के 2 जिलों में देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन:भारत बनेगा दुनिया का 5वां देश, 1 घंटे 140 किमी चलेगी, पूरी तरह प्रदूषण मुक्त तकनीक

    5 hours ago

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    देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन जींद-गोहाना-सोनीपत ट्रैक पर चलने के लिए तैयार है। भारत जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन के बाद इस तकनीक को अपनाने वाला दुनिया का पांचवां देश बनेगा। जींद में इसके लिए आधुनिक हाइड्रोजन प्लांट बन रहा है और इंजन भी तैयार हो चुका है। यह ट्रेन दुनिया की सबसे लंबी और ताकतवर हाइड्रोजन ट्रेन होगी, जो 2,638 यात्रियों को ले जा सकेगी और 110 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित इस ट्रेन से केवल पानी और भाप निकलेंगे, जिससे प्रदूषण बिल्कुल नहीं होगा। रेल मंत्री ने साझा किया वीडियो रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने अपने एक्स हैंडल पर देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का वीडियो साझा किया, जिसमें इसकी डिजाइन और खूबियों को दिखाया गया है। उन्होंने बताया कि रेलवे जल्द ही इस ट्रेन को पटरियों पर उतारने की योजना बना रहा है। यह परियोजना पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ परिवहन के क्षेत्र में भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। दुनिया की सबसे लंबी और शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन भारतीय रेलवे सूत्रों के मुताबिक, यह ट्रेन दुनिया की सबसे लंबी और सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन चालित ट्रेन होगी। इसका कोच चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार हुआ है और हाल ही में इसका परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। 1,200 हार्सपावर की यह ट्रेन भारत को हाइड्रोजन ट्रेन तकनीक में अग्रणी बनाएगी। “हाइड्रोजन ट्रेन फार हैरिटेज” पहल के तहत रेलवे 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने की योजना बना रहा है, जिनमें से प्रत्येक की लागत लगभग 80 करोड़ रुपए होगी। विरासत और पहाड़ी मार्गों के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर प्रति मार्ग 70 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रैक को हाइड्रोजन ईंधन में अपग्रेड करने की योजना है। जींद बनेगा हाइड्रोजन उत्पादन का केंद्र इस ट्रेन को ईंधन देने के लिए जींद में एक मेगावाट पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन प्लांट का निर्माण जारी है। यह प्लांट रोजाना करीब 430 किलो हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा। जींद स्टेशन पर 3,000 किलो हाइड्रोजन भंडारण की क्षमता होगी, जिसमें कंप्रेसर और प्री-कूलर इंटीग्रेशन वाले दो डिस्पेंसर लगाए जाएंगे। इससे ट्रेन को तेज और सुरक्षित तरीके से ईंधन भरने की सुविधा मिलेगी। हाई स्पीड और पर्यावरण अनुकूल तकनीक 89 किलोमीटर लंबे जींद-गोहाना-सोनीपत ट्रैक पर यह ट्रेन 110 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। आठ कोच वाली यह ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित होगी, जो संचालन के दौरान केवल पानी और भाप उत्सर्जित करेगी। डीजल ट्रेनों के विपरीत इसमें कार्बन उत्सर्जन शून्य होगा, जिससे पर्यावरण स्वच्छ रहेगा। यह तकनीक मौजूदा रेल संसाधनों के साथ भी आसानी से काम कर सकती है और पारंपरिक डीजल ट्रेनों का एक टिकाऊ विकल्प साबित होगी।
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