दहेज हत्या केस-आरोपी बोला, ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा था:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- इससे घर पर अत्याचार करने की आजादी नहीं मिल जाती
1 month ago

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दहेज हत्या के आरोपी को पुलिस के सामने सरेंडर से छूट देने से इनकार कर दिया। आरोपी ने कोर्ट के सामने दलील दी थी कि वो ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा था। आरोपी ने कहा- मैं 20 साल से ब्लैककैट कमांडो हूं। राष्ट्रीय राइफल्स में पोस्टिंग है। जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा, "आप ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा थे, इससे आपको घर पर अत्याचार करने की आजादी नहीं मिल जाती है। आप देखिए कि फिजिकली कितने फिट हैं, ये दिखा रहा है कि आपने अपनी पत्नी का गला घोंट दिया हो, उसे मार डाला हो।" जानिए क्या है मामला मामला 2002 का है, आरोपी बलजिंदर सिंह पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप लगा। इस बात की गवाही मृतक के भाई और उसकी पत्नी ने दी। भाई ने पुलिस को बताया कि, 18 जुलाई 2002 को सुबह 9:00 बजे वे बहन के ससुराल पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि उसके पति (आरोपी) और ससुर ने कपड़े से बहू का गला घोंट दिया। इस दौरान सास और ननद ने उसके हाथ-पैर पकड़े हुए थे। यह हादसा देखकर भाई ने शोर मचाया तो सभी आरोपी भाग गए। लेकिन तब तक उसकी बहन की मौत हो गई थी। निचली अदालत ने आरोपी परिवार के चारों सदस्यों को बरी कर दिया था, लेकिन पति को दोषी ठहराया। जुलाई 2004 में, अमृतसर की एक ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता बलजिंदर सिंह को शादी के दो साल के भीतर अपनी पत्नी की मौत के लिए धारा 304-बी आईपीसी के तहत दोषी ठहराया। आरोपी को 10 साल की सजा, तीन साल जेल में रहा
निचली अदालत ने आरोपी बलजिंदर सिंह को 10 साल की सजा सुनाई। इस दौरान उसने हाईकोर्ट में अपील की। करीब 20 साल तक हाईकोर्ट में केस चला। बीच में तीन साल बाद आरोपी को जेल से बाहर आने की परमीशन मिल गई थी इसी साल मई में हाईकोर्ट का फैसला आया, कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा। जिसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। ------------------ ये खबर भी पढ़ें... हाईकोर्ट ने कहा-रेप में क्रूरता नहीं, फांसी नहीं दे सकते बाल आयोग बोला- पीड़िता 4 साल की मासूम 2023 में खंडवा जिला कोर्ट ने 4 साल की मासूम से रेप के आरोपी को फांसी की सजा दी। फैसले में लिखा- आरोपी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक कि प्राण नहीं निकल जाएं। हालांकि 2025 में जबलपुर हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को 25 साल की सजा में बदला। फैसले में लिखा- मामला बर्बर है, लेकिन क्रूर नहीं। दोषी आदिवासी है, निरक्षर है, उसे जीवन में सही संस्कार नहीं मिले। पढ़ें पूरी खबर...
Click here to
Read more