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    माधुरी हथिनी विवाद पर अब 25 अगस्त को होगी सुनवाई:गुजरात के वनतारा शिफ्ट करने पर आपत्ति, याचिकाकर्ताओं की मांग- वापस महाराष्ट्र लाया जाए

    15 hours ago

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    महाराष्ट्र के कोल्हापुर की मशहूर हथिनी (माधुरी) की शिफ्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वनतारा के हाथियों पर दायर की गई याचिका को ‘पूरी तरह अस्पष्ट’ बताया। जस्टिस पंकज मित्तल और पीबी वराले की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील सीआर जया सुकीन से कहा कि वह वनतारा पर आरोप लगा रहे हैं। जबकि उसे याचिका में पक्षकार के रूप में शामिल ही नहीं किया गया है। अदालत ने उन्हें वनतारा को पक्षकार बनाने और फिर मामले में लौटने को कहा। अब इस मामले की सुनवाई 25 अगस्त को होगी। CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ 11 अगस्त को हथिनी को वनतारा भेजने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई को सहमत हुई थी। हथिनी के स्थानांतरण को लेकर स्थानीय लोग, धार्मिक संस्थाएं और राज्य सरकार अलग-अलग पक्ष रख रहे हैं। हथिनी है पिछले 34 सालों से कोल्हापुर स्थित स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्थान मठ में रह रही थी। इसी साल बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने हथिनी के शिफ्टिंग का आदेश दिया था। हालांकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हथिनी को जबरन ले जाया गया और वह मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। पहले समझिए मामला क्या है दरअसल, 16 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि माधुरी को वनतारा में शिफ्ट किया जाए। यह आदेश PETA इंडिया की ओर से हथिनी की सेहत, गठिया और मानसिक तनाव को लेकर जताई गई चिंताओं के बाद दिया गया था। इससे पहले दिसंबर 2024 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने हथिनी के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए उसे गुजरात के वनतारा पशु अभयारण्य में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। फिर 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा था। यह मामला 2023 से चल रहा है। माधुरी को वनतारा शिफ्ट किए जाने पर कोल्हापुर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। लोगों ने उसको वापस लाने के लिए हस्ताक्षर किए। धार्मिक परंपराओं और भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। 7 अगस्त को वनतारा का बयान- शिफ्टिंग कोर्ट के आदेश पर हथिनी विवाद पर वन्यजीव संस्था वनतारा ने 7 अगस्त को बयान जारी किया। इसमें कहा कि हथिनी 'माधुरी' को वनतारा शिफ्ट करने का फैसला उसका नहीं था, बल्कि यह माननीय सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेशों के तहत हुआ। वनतारा ने कहा कि कोर्ट के निर्देशों के अनुसार उसकी भूमिका माधुरी की देखभाल, पशु-चिकित्सा सहायता और अस्थायी पुनर्वास तक ही सीमित थी। उसने न तो माधुरी को शिफ्ट करने की कोई सिफारिश की और न ही इससे जुड़ा फैसला लिया। अगर हमारी किसी बात, निर्णय या प्रक्रिया से जैन समुदाय या कोल्हापुरवासियों को दुख पहुंचा हो, तो उसके लिए मन से माफी मांगते हैं। वनतारा ने अपने बयान में और क्या कहा वनतारा संस्थान ने कहा- "मिच्छामी दुक्कड़म" यानी अगर हमने किसी को जाने-अनजाने ठेस पहुंचाई हो, तो कृपया हमें क्षमा करें। हमारा उद्देश्य केवल माधुरी की भलाई है। हम सभी को मिलकर उसके हित में एकजुट होना चाहिए। जैन मठ में 32 साल से रह रही थी कोल्हापुर के नांदणी गांव के जैन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्थान मठ में माधुरी नाम की हथिनी को 1992 में लाया गया था। इस जैन मठ में 700 सालों से ये परंपरा है कि यहां हाथी पाला जाता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है। यहां माधुरी हथिनी को तब लाया गया था, जब वह सिर्फ 4 साल की थी। वह यहां 32 सालों से रह रही थी।
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